कोरोना कोरस
कोरोना कोरस
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हम लाए लाक डाउन से तुमको निकाल के।
अब अपने ही घर में रहो,खुद को संभाल के।
कठिनाइयों में काटे हैं दिन एक साल के।
तुमको पता कहाँ है भाव आटे दाल के।
कोरोना का समय है जरा देख भाल के।
देखो न दिली खिड़की से दिख जाय हसीना।
गरमी का समय यों नहीं बह जाय पसीना।
खूँटे को छोड़ के पराई घास न चरना।
क॔धे पै भूल से किसी का सिर नहीं धरना ।
ललचायें भले हँसते हुए गड्ढे गाल के ।
कोरोना का समय है जरा देख भाल के ।1
देखो कहीं किसी से न लग जाये कोरोना।
गफलत जरा सी जिंदगी से हाथ है धोना ।
मच जाय घर में जिस तरह बेवक्त का रोना ।
सोना जरूर किंतु सावधानी से सोना ।
पी काली मिर्च अदरख नीबू उबाल के
कोरोना का समय है जरा देख भाल के ।2
कितना भी हो सुन्दर किसी चेहरे पै न मरना।
बातें करो तो मास्क लगा दूर से करना।
वैसे तो फूटने न देना प्यार का झरना ।
गर फूट ही पड़े तो, शरदी होने से डरना ।
दिखलाना नहीं पैण्ट से पैसा निकाल के ।
कोरोना का समय है जरा देख भाल के।3
धंधा पड़ा है मंदा तो बंदा करे भी क्या ।
सब ओर खुदीं खाइयाँ अँधा करे भी क्या ।
शादी के ठाट-बाट के तंबू सिकुड़ गये ।
होटल बरात घर में पले तोते उड़ गये।
अरमान सारे धुल गये रंगीन ख्याल के ।
कोरोना का समय है जरा देख भाल के।4
जाता नहीं कोरोना जहाँ पर चुनाव है।
रैली सभा मीटिंग में न किंचित प्रभाव है।
इसको मिटाने और क्या जादा है शोषणा।
कर दें चुनाव की पूरे भारत में घोषणा।
सब पंछी फड़फड़ाएँगे मस्ती में डाल के ।
कोरोना का समय है जरा देख भाल के ।5
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश