*कोरोना के कहर पर रंगों का असर*
रंगों की रीत निभाना है,
अपनों के संग होली आज मनाना है
गुजर गया वह वीभत्स दौर,
जिसको आज भुलाना है,
जिन्होंने खोया अपनों को,
उनके दुख को आज बटाना है,
गम को हराकर आज खुशियों को जीत लाना है।
रंगों की रीत निभाना है,
अपनों के संग होली आज मनाना है,
दुआ करें हम आओ मिलकर,
दौर ना ऐसा फिर आये हमपर,
जो बीत गया सो बीत गया,
अब ना वापस लाना है,
ज़ख्म दिये जो कुदरत ने,
उन पर मरहम आज लगाना है,
रंगों की रीत निभाना है,
अपनों के संग मिलकर,
होली आज मनाना है,
माना कर्तव्यों का फ़र्ज़ बहुत बड़ा है,
जिसे निभाने को हर हालत में,
इंसा आज खड़ा है,
इस भागदौड़ की दुनिया में,
कुछ पल सुकूं के पाना है,
कर्म और धर्म का संगम आज बनाना है।
रंगों की रीत निभाना है,
अपनों के संग मिलकर होली आज मनाना है।
ना भेद रहे ना खेद रहे,
ना आपस में मतभेद रहे,
ना पद बड़ा ना कद बड़ा,
रंगों में जो आज रंगा,
उस इंसा का कद बड़ा,
स्नेह के रंगों से मिलकर खुदरंग एक बनाना है।
इन रंगों की रीत निभाना है,
सब संग मिलकर होली आज मनाना है।
रंगों की ना कोई भाषा,
रंगों की ना कोई बोली,
जिस तन पर ये चढ़ जाए,
दुनिया उसी की होली,
जोश, उमंग और उत्साहों से भर दे अपनों की टोली,
उत्साहों से भरकर जोश नया जगाना है।
रंगों की रीत निभाना है,
अपनों के संग होली आज मनाना है।
कुमार दीपक “मणि”
(स्वरचित)