—कोरोना की मार —
बड़ा दुख हुआ, जब देखा यह नजारा
ऐसा एहसास न था, इंसान फिरेगा मारा मारा
दर दर भटकने को होने लगेगा वो मजबूर
घर पहुँचने से पहले ही हो जाएगा वो दूर !!
किया किसी ने , भुगत रहा है कोई
कैसी यह विपदा आ गयी है भाई
दाने दाने को इंसान हो रहा लाचार
पर लूटने वाले बन रहे हैं अब हजार !!
इंसान की करनी, भगवान् ने थी देखी
अब दे रहा वो दुख सब को हजार
इसी लिए कहता हैं बड़े सयाने
प्रकृति से नहीं कभी करो छेड़छाड़ !!
अजीत कुमार तलवार
मेरठ