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5 May 2020 · 2 min read

कोरोना की मधुशाला!!

आज कोरोना काल के कठिन दौर में शराब के ठेके खुलते ही जो दृश्य देखने को मिला उसने लिखने के लिये प्रेरित किया कृपया कुछ पंक्तियाँ देखें और समीक्षा करें ।

सारे ही जग पर छाई है,
आज कोरोनाई हाला
कितने पीकर बहक रहे हैं
कितने तोड़ गये प्याला।

जीवन का सौन्दर्य इसी में
सब मिल आगे बढ़ देखें
अब न कोई भी प्याला टूटे
मिले प्रेमरस की हाला ।

वैद्य पुलिस सब अपने नायक
खलनायक नफरत प्याला
आज कसम लो और छोड़ दो
तुम पत्थर वाली हाला ।

सर आंखों पर बैठा लेगी
तुम्हें प्रेम की मधुशाला ।

मजहब वाले ठेकेदारों,
क्यों बहकाते हो ऐसा
ले डूबें सब कौम
पियें जब ये तेरा झूठा प्याला।

बहुत देर अब कर दी तुमने
रोग बना डाला प्याला
झूम गये सब आज अतिब्बा
बहुत कठिन है ये हाला ।

एक बात मिल कर सब सोचो
एक रहे पुरखे अपने,
एक रहा है अपना प्याला
एक रही है मधुशाला।

किसे पता था काल कोरोना
ले जायेगा मधु प्याला
रोज रहेगा प्याला रीता
बन्द रहेगी मधुशाला ।

जीवन की सारी मधुता तो
पहले से ही छीन चुका
आज हलाहल गरल कोरोना
करुण कथानक मधुशाला ।

लोग पूछते कैसे पायी
धरा लोक पर ये हाला
सागर मंथन कह बतलाते
रसज वारूणी है हाला।

मधुरस का आनंद मिलेगा
केवल मिलकर पीने में
चार घूंट पी और ढूँढ़ ले
कैसे आई मधुशाला।

कितने पागल होकर टूटे
सब अनुशासन ही छूटे
चालिस दिन को मय क्या छूटी
टूट पड़े सब मधुशाला।

एक बार जो अपना लेता
नहीं भूल फिर वो पाता
मेरा जादू सर चढ़ बोले
मैं ऐसा मधु का प्याला ।

मैं लक्ष्मी रूपा दरबारी
खुद राजस्व दिलाती हूँ
फिर भी मुझको करे तिरस्कृत
जो न समझ पाये हाला ।

भाव बढा लो जितना चाहे
फिर भी मैं बिक जाऊंगी
मेरी आदत दिल की आदत
सच्ची चाहत मधुशाला।

छुप छुप कर मुझको कुछ पीते
कुछ पीते खुल्लम-खुल्ला
जिसकी जैसी फितरत होती
उसकी वैसी मैं हाला ।

कोरोना दुष्चक्र रूकेगा
सोच तनिक बन मतवाला

गली गली हो साकी वाला
घर घर हो पीने वाला
बन्द रहे सब दुनियां दारी
खुली रहे बस मधुशाला ।

अनुराग दीक्षित ।

Language: Hindi
5 Likes · 8 Comments · 377 Views
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