कोरोना की कहर
प्रकृति का कहर था ।
ये तो होना तय था ।
मानव को अपनी करनी का ।
परिणाम भुगतना ही था ।
इसमे न कोई जादू था ।
न ही कोई टोना था ।
सर्वाधिक आबादी वाला देश ।
चीन ने दी पुरी दुनिया को क्लेश ।
वुहान शहर में बनकर कहर ।
आया एक वायरस ।
नाम से सभी हैं परिचित ।
जी हाँ कोरोना ।
जिसकी दंश कोर्ट पुरा ब्रह्मांड न झेल सका ।
एक बार चिंगारी लगी ही क्या उसके लपटो से कोई संभल न सका ।
सुरसा की भाँति मुख फैलाया ।
दुनिया के हर कोने में जाल बिछाया ।
यमराज दिखते आंख के सामने साक्षात् ।
जो भी कोरोना के चपेट में आया काल के गाल में समाया ।
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ।
इसे तभी तो वैश्विक महामारी का स्वरूप बताया ।
कोरोना जो आया शुरुआती दौर में ।
थम गई दुनिया इस ठौर में ।
भारत में जब 16 मार्च 2020 को लॉकडाऊन लगा ।
22 मार्च को जनता कर्फ्यू नाम सुनने को मिला ।
पूरे देश में त्राहि -त्राहि ।
भूखमरी -गरीबी -लाचारी तबाही।
रोज कमाने खाने वाले ।
मरने लगे भूख-प्यास से भाई ।
बंद यातायात की आवाजाही ।
पलायन कर रहे थे मजदूर ।
छोङ शहर चल दिए पैदल अपने गांव को ।
देखा न धूप छाँव को ।
मरता क्या न करता ।
वक्त जब हो बुरा ।
मुश्किल से हर कोई सम्भलता ।
क्वारंटाइन, सैनिटाइजर,मास्क ।
इस शब्द ने आतिश जगह बनाया।
बूढ़े, बच्चे, हर वर्ग आयु में सुरक्षा जागरूकता छाया ।
श्वास लेने में दिक्कत ।
रोग प्रतिरोधक क्षमता हो जाती कम ।
वायरस अपना निवाला बना लेता।
जिसको है कमजोर पाता ।
रूस,ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, इटली,स्वीडन आदि जो है देश यूरोपीय ।
चीन,जापान,उत्तर कोरिया ।
लाओस,थाईलैंड, कम्बोडिया ।
जो भी है देश एशियाई ।
अमेरिका, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया ।
सप्त महाद्वीपो में विस्तृत ये विकार ।
कोरोना इस नाम कोर्ट ध्यान से पढो साक्षात् मौत का है ये द्वार ।
प्राकृतिक क्षोभ से विक्षोभ ।
उसके आगे किसकी रोक-टोक ।
समय ने दिया ऐसा खंजर भोंक ।
लाशो का हुआ विस्फोट ।
पङ गई कम जमी करने को दफन ।
कौन जलाए,वायरस खुद में न जा समाए ।
इस डर से सभी अपनी जान बचाए ।
इतिहास बनते हमने भी देखा है ।
आपने तो वही पढा जो लिखा है।
कितने रहस्य दबे रह गए उसको कौन सामने लाया है ।
खुशी में सब हंसे पर दुःख में सबने चीखा है ।
सफल,कामयाब वही जो हालातो से अपने सीखा है ।
ध्वस्त हो गई अर्थव्यवस्था दुनिया की ।
कोरोना ने ने जाति देखा ।
ने मजहब ने वर्ग ।
ने सम्प्रदाय ने स्थान ।
कोरोना की नजर में सब एक समान ।
मानव की करतूत को कौन भुगते।
कौन आता है यहाँ मरने के लिए ।
हर कोई है जीना चाहते ।
डॉक्टर ने होते तो न जाने ।
जीने से पहले कितने मर जाते ।
नमन चिकित्सको के दल को ।
विस्मरण कर उस पल को ।
अपनी जान की परवाह छोड़कर।
दूसरे की रक्षा में थे तत्पर ।
फैल गया इलाज के दौरान उन्हे संक्रमण ।
लोगो को जीवन देने वाले का ही हो गया मरण ।
पर मौत कब दस्तक दे दे ।
इसको कौन देखा ।
कोरोना की शुरुआत ।
नही थी उतनी घातक ।
जितनी दूसरी लहर में छाया भारत में मातम ।
ऑक्सीजन -ऑक्सीजन ।
खत्म हो रहा था जीवन ।
प्राकृतिक मे ऑक्सीजन के स्तर को हम सबने घटा दिया ।
प्रकृति ने भी क्या खूब बदला लिया ।
ऑक्सीजन न मिलने से ।
सांस की अफनाहट से ।
दम तोङ दिया लाखो ने ।
ये देश देखता रहा ।
सुरक्षा का कोई इंतजाम नही ।
कोरोना अपना काम कर गया ।
सफल वैक्सीन नेहरू बनी अभी तक ।
रोकथाम ही बस एक उमीद ।
कोरोना की जिद ।
सुला गई एक तिहाई लोगो को चिर नींद ।
तीसरी क्या लहर की गिनती ऐसी ही चलती रहेगी ।
और इस लहर में डूबेगी दुनिया सारी ।
क्योकी इसकी जङ अब हो चुकी है और भी गहरी ।
दुनिया ठहर गई पर इसकी रफ्तार न ठहरी ।
घर क्या दुनिया उजङ गई ।
ख्वाब देखे थे जो भावी जीवन का।
कोरोना ने उनकी जिंदगी ही छीन ली ।
एक पति का पत्नी से प्यार ।
बच्चो के लिए सपने हजार ।
मां, बहन,भाई, पिता ।
सभी का राजदुलारा।
आंख का तारा ।
विलीन हो गए।
कौन सदैव रोता है ।
बस कुछ पल के लिए ।
फिर वो जीवन की खुशियो में घुल -मिल जाता है ।
ढह गया सपने ।
देश की विकास दर कम हुई ।
हुआ कई साल पीछे ।
कोरोना एक छोटा सा विषाणु दुनिया की कमर तोड़ दी।
अभी न खत्म इसका सिलसिला हुआ है मानव है खत्म होता जा रहा ।
बनेगा इसका जब सफल टीका ।
वही होगा 21 वी सदी का योद्धा।
नाम स्वर्णिम पन्नो में अंकित ।
वही होगा महान विजेता ।
जब तक है जिंदगी जिओ जिंदादिल से ।
कोरोना शरीर को है मार सकता ।
आत्मा अजर अमर गीता बताए ।
☆☆RJ Anand Prajapati ☆☆