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6 Dec 2020 · 1 min read

कोरोना का साया

चिठ्ठी आयी है
संग वायरस लाई है
भाषा संक्रमित है
हर कोई भ्रमित है

प्रेषक और प्रेषित की
नहीं कोई पहचान है
पता भी अनजान है
जग सारा परेशान है

गरीब हुईं बस्तियां है
झुकी हुई हस्तियां है
जान पे बन आई है
प्राणों की दुहाई है

अहम से भरे थे
भीतर से डरे थे
खोखले इरादे थे
कोरे कागज़ से वादे थे

शांति से निराशा थी
युद्ध में ही आशा थी
गुटों में बंटे थे
मुद्दों पे डटे थे

भेद और भी गहराएगा
रहस्य, रहस्य ही रह जाएगा
कोई घुटन से घबराए गा
कोई तिलमिलाहट में छटपटाए गा

युद्ध फिर से न हो
शांति की आढ़ में
बहुत कुछ बह गया
इस वीभत्स रार में

पलक झपकते वर्तमान,
भूतकाल हो जाएगा
स्मृतियां हर पल पीछा करें गी
मरने वाला लौट नहीं पाएगा।

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 422 Views
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