कोरोना का रोना ( महाभुजंग प्रयात)
आधार छंद
महाभुजंग प्रयात
धुन = कैलाश गौतम
(अमौसा का मेला )
न आना न जाना न पाना न खोना।
पड़े हैं घरों में, करें सिर्फ सोना ।
गया साल पूरा अभी भी मचा है,
कुरोना का रोना कुरोना का रोना ।।टेक।।
किसी को जरा बात भाती नहीं है।
बुलाऊँ उसे पास आती नहीं है।
ढके मास्क चेहरा रखे सावधानी ।
रहे दूर फिर भी लुभाए जवानी
हुआ क्या अचानक बताती नहीं है।
लगी प्यास मुझको बुझाती नहीं है।
अरे ठीक ढंग से मनाई न होली।
नहीं रंग डाला,नहीं भंग घोली
जमा बैठने कोनहीं कोइ कोना।
कुरोना का रोना कुरोना का रोना।
बना के रखी थी ,रसीली मिठाई
खिलाने उसे मेज सुन्दर सजाई
बड़े नाज नखरे दिखाती वो आई।
पिया सिर्फ पानी जरा भी न खाई।
धुले हाथ दोनों लगा के दवाई।
रही सिर्फ़ होती धुलाई धुलाई।
रहा माथ सूना लगा न डिठौना।
कुरोना का रोना कुरोना का रोना।।
उठें चाहे जैसी तरंगें गुरूजी
भरो मन में भारी उमंगें गुरूजी
तमन्ना अभी भी रहेगी कुंवारी।
कोई इच्छा पूरी न होगी तुम्हारी।
मिलेगी नहीं आस की खास मोना।
कुरोना का रोना कुरोना का रोना ।
पढ़ें पाठ बच्चे सभी आन लाइन ।
ये झूठे ये सच्चे सभी आन लाइन ।
हुआ लेना देना सभी आन लाइन ।
मिलें तोता मैना सभी आन लाइन ।
हुआ उनसे इजहार भी आन लाइन
चला कुछ दिनों प्यार भी आन लाइन ।
हुए सपने साकार भी आन लाइन ।
किया उसने इंकार भी आन लाइन ।
लगा भूमि पड़ती पड़ी बीज बोना ।
कुरोना का रोना कुरोना का रोना ।
किसे जाय कविता सुनायें कवी जी ।
किसे मन की पीड़ा बतायें कवी जी।
कमाई के घोड़े इसी में अड़े हैं
शनीवार पूरे ही खाली पड़े है।
नहीं अब रहा मामला अपने बस का।
लगे प्यारी देशी,था इंगलिश का चसका।
पढ़ें लाइब कविता नहीं घर से जायें।
मुबाइल में बेलेंस भी खुद डलायें ।
पटल की प्रशंसा में शब्दों का ढोना।
कुरोना का रोना कुरोना का रोना ।।
मिला था पुरस्कार जो घोषणा में ।
रखा नाम इस बार जो घोषणा में ।
अकेला वही था, लगा काम आए।
खुशी से गुरू जी न फूले समाये।
दिल्ली की ए सी टिकिट भी करा ली ।
नई एक जैकिट मंगाकर धरा ली ।
उड़े आसमानों से टकराया दिल है ।
पता ये चला कार्यक्रम केंसिल है ।
बिछाने से पहले उठा है बिछौना ।
कुरोना का रोना कुरोना का रोना ।
गुरू सक्सेना
नरसिंहपुर मध्यप्रदेश