कोरोना का पुनरागमन
लो फिर आ गया कोरोना,
स्कूलों की ताला बंदी,
बच्चों की मानसिक वृद्धि पर,
आज़ादी की ताला बंदी|
प्रायवेट शिक्षकों पर फिर आई,
बेबाक आर्थिक तंगी|
इक तरफा है कहर आपका,
सिर लटकी तलवार नंगी|
कोरोना का राजनीति पर क्यों
होता कोई असर नहीं,
नेता जी क्यों बेरोक-टोक
घूमें कोई कसर नहीं|
जत्थे बनते समर्थकों के क्या
इनसे कोविड डरता है,
रे दुष्ट कोरोना जानबूझ क्यों
रह रह आक्रमण करता है,
बच्चे-बूढ़े आम-आदमी को
ही क्यों कोरोना ठगता है|
‘मयंक’ जहाँ चुनाव चल रहे
लौट वहाँ से तू क्यों भगता है|
✍ के.आर.परमाल ‘मयंक’