कोरोना का पीड़ित मरते समय क्या सोचता होगा..
कोरोना का पीड़ित मरते समय क्या सोचता होगा,
बस एक बार अपने परिवार को देखना चाहता होगा….
सांसें जब फूलती होंगी,तो वो जीवन से थोड़ी मोहलत मांगता होगा,
एक और बार फिर से जीवन वो जीना चाहता होगा….
आँखों के सामने जब अंधेरा चारों ओर फैलता होगा,
तो मौत से जीवन की भीख बार बार चाहता होगा….
अंतिम धड़कन से पहले उसका पूरा जीवन सामने आया होगा,
क्या खोया और क्या पाया यही देखकर वो खुद को समझाया होगा….
जरा सी लापरवाही बनेगी मौत ये ख्यालों में भी न आया होगा,
एक एक पल जीने के लिए वो तरसकर मरूस्थल में बूंद छुपाया होगा….
पहले जब बनाते थे कोरोना पर मजाक,तो ये न सोचा होगा,
आज मुँह खोलकर मरे जिस्म को कब्र में गैरों ने दफनाया होगा….
कोरोना का डर मन में रहने दो लोगों,
इसके भय से ही सजग रह जिन्दगी को मांगों…
अलग थलग पड़ जाता है इंसान,जब होता कोरोना,
अस्पताल से शमशान तक किनारे करते है लोग, है न….
मरते समय बस यही अफसोस मन में रह जाता,
काश: समय रहते मैं सावधान हो जाता….
मोहलत नहीं देता है ये कोरोना,
इससे बचते रहने में ही सभी सुखी रहे न….
(संजीव पासवान….)