कोरोना का दुखद गीत हूँ
कोरोना का दुखद गीत हूँ मै , जरा गुनगुना कर देखिये
प्राण को अप्राण में बदलता , अब फनफना कर देखिये
जानें कितनी है निगली मैने , कितने बेरोज गार है किये
गिर कर खड़े हुए हम , नुकसां चार गुना कर देखिये
अर्थव्यवस्था देश की चरमराई , जी डी पी. भी गिराया
मजबूर हो गये आत्मघात को , मजदूरों भी है रूलाया
तिल तिल मरने से अच्छा हो , दुश्मन को सबक सिखाए
अब तक दिया हौसला सैनिकों को, कि शत्रूओं भगाया