कोरोना का तांडव
महामारी का मचा है तांडव,
हर देश हर द्वीप में ।
छड़-छड़ काल ग्रसित करता है,
जीवन अपने समीप में ।
पूरी दुनिया में है फैला,
बहुत बड़ा है ये संकट ।
हर एक मानव पर भारी,
कष्ट है ये बहुत विकट ।
झुलस रहें हम सब मानव,
इस महामारी के काल में ।
गिरते ही जा रहें है अब,
मृत्यु के इस जाल में ।
कोरोना का आतंक,
फैल रहा घर-घर में ।
होगा क्या अब जीवन में,
डर है ये हर इक नर में ।
हर तरफ फैल रहा ,
सन्नाटे का ही राज ।
जीवन को डस रही,
बलवान मृत्यु है आज ।
अन्धकार में दीखता है,
अपना आने वाला कल ।
जीवन इतना भंगुर है,
कब छिन जाए वो किस पल ।
माँ बाप और भाई बहन,
कितनो ने अपनों को खोया ।
हँसते हुए थे जो वो सब,
हर एक प्राणी अब है रोया ।
लाशों के अम्बार खड़े,
श्मशानों में लगी कतार ।
प्राण वायु की मारा मारी ,
इंसानियत है जार-जार ।
प्रकृति से रह कर के दूर,
कंहा रह पाया है मानव ।
यही सबक सिखलाने को,
आया है कोरोना दानव ।
अपने अंदर की शक्ति को,
हमको फिर से जगाना है ।
कितनी भी हो कठिन लड़ाई,
इस दानव को भगाना है ।
गर चेत गए अब भी,
तो बच जाएगा ये संसार ।
कम हो जायेगा ये प्रकोप,
और कोरोना जायेगा हार ।