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14 Jun 2021 · 1 min read

।।उम्र अठारह से चौवालीस।।

टीका भवन, जब मैं पहुँचा।
देखा भीड़, सर चकराया।
ठेलम ठेली, धक्का मुक्की।
सोशल डिस्टेन्सिंग, तेरी ऐसी तैसी।

सांय सांय, जेठ की दुपहरी।
सूरज सर पे,भयंकर गरमी।
पसिने से तर-बतर,घमौरियां खसर-खसर।
मुखड़ा गोरा-चिट्ठा,हुआ काला-कलूटा।

लाईन में पांचवाँ, टीके थे बीस।
आज लगेगा टीका, दांत निकले बत्तीस।
मुसकुराते नर्स बोली, भैया आप जाओ।
टीका भवन नहीं, घर को जाओ।

टीका आँखों देखा , लगा ना हाँथ।
मैं झल्लाया, मैं चिल्लाया।
आदमी चार,औरत पांच;कैसे हुए बीस?
क्या काँलोनिंग मशीन लगाया? एक का जो दो बनाया।

बढ़ते केस,गिरती राजनीति।
राज्य में खेला;APL,BPL का झमेला।
उमर पैंतालीस ऊपर,टीका लगा बम्पर।
बाकी ना नौ मन तेल,ना राधा का नाच।
???❄️❄️❄️???
-©रबिन्द्र नाथ सिंह मुण्डा
कोरबा, छत्तीसगढ़।
14 जून 2021

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 271 Views
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