कोरोना काल की हवाई यात्रा संस्मरण!!
हम घर लौटने के लिए,
एयरपोर्ट पहुंचे,
वहां का नजारा पिछले दिनों से बदला हुआ दिख रहा,
हर नागरिक एक दूसरे से दूर होकर था चल रहा,
आज हमें पहली बार,
सामाजिक दूरी रखने का हुआ एतबार,
हम सहज भाव से जा रहे थे,
लोग हमसे छिटक कर दूर जा रहे थे,
अब हमें भी इसका अनुपालन करना पड़ा,
और धीरे धीरे आगे बढ़ना पड़ा।
एयरपोर्ट के अहाते में आकर,
हमें थर्मल स्क्रीनिंग से फिट होकर,
अंदर जाने का अवसर आया,
यहां पर भी पंक्ति में खड़े होकर,
धीरे धीरे आगे बढ़ना पड रहा था,
अब काउंटर के निकट आए,
जहां पर हमने अपने आधार दिखाएं,
तब हमें भीतर जाने का मौका मिला,
भीतर भी पंक्तियां लगी हुई थी,
पंक्ति के आगे एक प्रिंटर मशीन लगाई गई थी,
सब अपने अपने टिकट के प्रिंट निकाल रहे थे।
हमें भी इस प्रिंटर तक पहुंचने का अवसर मिला,
प्रिंटर पर मैंने अपने टिकट के लिए प्रयास किया,
लेकिन टिकट नहीं निकल पा रहा था,
पीछे खड़ा एक नौजवान , अपनी टिकट के लिए उतावला हुआ जा रहा था,
मैंने उसको आगे आने को कहा,
वह आगे बढ़कर मशीन के निकट गया,
मैं भी उसके पास आ खड़ा हुआ,
तो उसने इसका प्रतिकार किया।
अब तो मुझे परेशानी होने लगी,
जिससे उम्मीद की थी मदद की,
उसने ही आंखें दिखा कर इतिश्री कर ली थी,
मेरा नंबर कट गया था,
वहां कोई भी सहायता नहीं कर रहा था,
मैंने इधर उधर देखते हुए,
मददगार को जानने का प्रयास किया,
तभी एक एयरलाइंस का कर्मचारी मुझे आते हुए दिखाई दिया,
मैंने उससे अपनी समस्या बताई,
उसने भी सहजता से मेरी मदद में दिलचस्पी दिखाई,
और मशीन पर जाकर मेरी टिकट निकाल कर मेरे हाथ में थमाई।
अब हम आगे बढ़ कर सामान जमा करने के काउंटर पर गये,
और वहां पर भी पंक्ति में खड़े होकर लग गए,
जब अपना नंबर आया तो मैंने अपना सामान दिखाया,
उसने मुझसे टोकन मांगने को हाथ बढ़ाया,
तो मैंने उसे अपना टिकट दिखाया,
उसने मुझे वहां से हटने को कहा,
और मेरे पीछे खड़े नौजवान को मुझसे आगे किया,
मैंने अपने से पीछे खड़े व्यक्ति से जानना चाहा,
यहां पर हमसे क्या मांगा जा रहा,
उसने मेरी ओर से मुंह फेर लिया,
और मुझसे आगे को चल दिया,
अब मुझे फिर किसी की मदद की दरकार थी,
तभी मेरी नजर में वह स्लीप दिखी,
जो उस काउंटर पर दी जा रही थी,
लेकिन यह स्लीप आ कहां से रही थी।
मैंने फिर कर्मचारी की ओर निहारा,
जो वहां पर किसी को कुछ बता रहा था,
मैं उसके पास पहुंच गया, और अपने सामान को भी साथ ले गया,
और उसको अपनी समस्या बताई,
उसने थोड़े से अनमने पन से,वह मशीन दिखाई,
मैंने कहा मुझे यह नहीं आता है,
तुम ही हमारी मदद करलो बेटा,
उसने मुझे निहार कर देखा,
और फिर मुझे साथ में लेकर चला,
मुझसे टिकट और लगेज का मैसेज मांगा,
मैंने भी अपने मोबाइल फोन को उसे दिखाया,
उसने उससे वह नंबर निकाला,
और प्रिंटर से उस स्लीप को निकाला।
अब मैं पुनः पंक्ति में खड़ा था,
इन सब झंझटों से परेशान हुआ था,
अपने नंबर आने पर मैंने वह स्लीप दिखाई,
अब उसने एक और समस्या बताई,
एंट्री पास दिखाओ,
यह एंट्री पास क्या है यह हमें नहीं पता है,
उसने कहा बिना इस पास के सामान नहीं जाएगा,
और जहां तुमने जाना है, वहां पर से लौट आना है,
मैंने एंट्री पास के लिए अपने पुत्र से कहा,
ये एंट्री पास क्या है बला,
तब उसने कहा, उत्तराखंड में प्रवेश के लिए जो आवेदन किया है,
वहीं एंट्री पास हो सकता है,
मैंने मैसेज से उसे निकाला,
और वहां खड़ी थी एक बाला,
उससे इसका हाल बताया,
उसने सहमति से सिर हिलाया,
तब जाकर सामान जमा हो पाया।
अब हमें उस माले पर जाना था,
जहां पर बोर्डिंग पास पाने पर,
प्रतिक्षा करने को बैठना था,
वहां पहुंचने को भी हमें एक मददगार मिल गया,
जो हमें वहां लेकर पंहुच गया,
वह वहां सफाई कर्मी था,
और उसके पास सामान भी बहुत था,
लेकिन पुछने पर उसने सहजता से मदद की थी,
यहां पर हमारी तलाशी ली गई थी,
तब जाकर हम वहां पहुंच पाए,
जहां से फ्लाईट पर बैठने को जाते हैं,
यहां पर कुछ समय प्रतिक्षा करनी पड़ी,
तब मुझे यह सब ख्याल आया,
इस कोरोनावायरस ने लोगों को कितना बेगाना बनाया,
इंसान इंसान से खौफ खा रहा,
कोई किसी की सहायता को नहीं आ रहा।
इस बिमारी से यों तो सब ही हलकान हैं,
लेकिन नौजवानों में कुछ ज्यादा ही तनाव है,
वह किसी की सहायता को तैयार नहीं दिखे,
बल्कि वह हम जैसे बुजुर्ग व महिलाओं से दूर ही खड़े रहे,
उन नौजवानों को एक संदेश है मेरा,
उनके घर पर भी तो होगा बुजुर्गों का बसेरा,
यदि कभी उनको भी मदद की दरकार हो,
और कोई मदद को आगे ना बढ़ रहा हो,
तब उनकी क्या हालत होगी,
वह भी तो किसी की मदद को टक-टकी लगाएंगे,
हमारी ही तरह सहायता की गुहार लगाएंगे,
और मदद करने वाले को दुआएं भी मिलती हैं,
ये दुआएं बहुत ही काम की होती हैं,
जब कोई अपना संकट में होता है,
तब इन्ही दुआओं का असर होता है,
हमने भी उन अनजान लोगों को दुआएं दी है,
जो फरिश्ते के रूप में हमें मिले हैं,,
मैंने कभी ईश्वर को नहीं देखा है,
किन्तु ऐसे ही मददगार के रूप में उन्हें महसूस किया है।।