कोरोना काल
मायूसी पसरी हुई थी
सन्नाटे का आगाज था
सभी कौने खाली पड़े थे
पुलिस का चाकचौबंध था ।
कुत्ते बिल्ली रो रहे थे
एम्बुलेंश का शोर था
मायूस डॉक्टर हो रहे थे
ये कयामत सा दौर था ।
भुतहा संसार बन रहा था
घरों में उदासी का माहौल था
मौत के मुहाने पर खड़ी थी जिंदगी
हर कोई लाचार था ।
कब्रिस्तानों में कतारें लगीं थी
उम्मीदें सारी खो रही थी
हर कोई अकेला बेचैन था
मास्क सेनिटाइजर का साथ था ।
कुदरती ये खेल नही
इंसानी लिप्सा का परिणाम था
जिजीविषा का ये वक्त है
जीतना ही एक मात्र लक्ष्य है……
डाक्टर सुरभि
दिल्ली