कोरोना और संघ
लॉकडाउन हैं लगा दोबारा, कितनी बड़ी मजबूरी हैं।
पूरी दुनिया घर में बैठी, बचना बहुत जरूरी हैं।।
दुनिया तो बस जूझ रही हैं, कोरोना के मारो से।
हम तो डरे हुए बैठे हैं, जमात के भागे गद्दारों से।।
दुनिया को बस लड़ना हैं, कोरोना महामारी से।
हमको तो कोरोना के संग, लड़ना इन गद्दारों से।।
दुनिया जिसे चाहती ज्यादा, ऐसा अपना सेवक हैं।
सेवा भाव संघ से सीखा, ऐसा अपना सेवक हैं।।
लॉकडाउन में निस्वार्थ भाव से, बिन लालच के लगे हुए।
ना ही तो वे क्रिश्चियन देखे, ना ही मुस्लिम देख रहे।।
जिसको पड़ी जरूरत उनकी, उनको वैसा देख रहे।
ना ही तो कोई लालच उनको, ना ही कर वे मांग रहे।।
RSS के सच्चे सैनिक, बिन तनख्वाह के भाग रहे।
राष्ट्रभक्ति का गजब उदाहरण, देखो तुम सब देख रहे।।
संघ सिखाए अनुशासन और राष्ट्रभक्ति की बातें बस।
संघ जरूरी बहुत हैं मित्रो, जैसे बसे देश में हम।।
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“ललकार भारद्वाज”