कोरोनाने वार किया इंसानियत पर….
कोरोनाने वार किया इंसानियत पर,
मानव पर टूटा आफत बनकर…!
जैसे थरा धुजति है भूकंप से,
वैसे मानवजात कि गरिमा को हिलाया….!!
हर इंसान खौफ में जिया,
जैसे क़ुदरतने दी हो सजा…!!
मुफ्त में मिलनेवाली प्राणवायु,
बिक रही थी ऊँचे दामोंमें,
अपनों को अपनों से दूर किया,
छीनली सारी मानवता….!
प्यार को थोड़ा कम जरूर कियाँ,
लेकिन अपनों को भुलाना थोड़ा आसान था….!!
कोरोनाने ढाए सितम इतने,
दिलके करीबियों को छीना,
तोडा हमारा भरम….लेकिन…
मन मजबुत था सबका तभी तो जी पाए हम….!!!