कोरे पन्नों पर शब्दों को तराशने
1.
कोरे पन्नों पर शब्दों को
तराशने का दौर अभी भी है जारी
ये वो शै है
जिसकी कोई स्याह रात नहीं
2.
इस दुनिया के खेल भी अजब निराले हैं
कहीं खुशियों की परवाह नहीं
कहीं खुशियों के लाले हैं
कहीं फिकता है खाना सड़कों पर
कहीं एक – एक टुकड़े , रोटी के लाले हैं