कोराना का कहर
ऐसा अकाल आया हैं देश में,
देश विचारा रोया,
किसान रोया फ़सल खेत में,
हाय अब क्या होया,
बादल छाये बीमारी भी इतनी आयी,
खेत हमारे तैयार खड़े हैं,
कैसे होत कटाई,
जवान सीमा पर खड़ा बहा पर,
सोच कर मन में रोया,
देश हमारा अब उजड़ रहा हैं,
इसे कैसे हमने जोड़ा,
मजदूर रोया बिलख बिलख कर,
हाय हमारा अब क्या होगा,
खाने को अब बचा नहीं हैं,
मजदूरी हाथ से खोया,
जा रहै हैं वो पैदल घर पर ,
यहां हमारा अब क्या होगा,
कयी दिनों का सफ़र कड़ेगा,
क्या क्या रस्ते में होगा,
नेता तो बस भाषाण दे गये,
उनका क्या होगा,
पैसा विलैक मनी भरा पड़ा हैं,
चैन से घर पर सोया,
पैसे बालों को ईयार लिफ्ट मिल गई,
ग़रीब पिट पिटकर रोया,
देश में अब ये आकल पड़ा हैं
देश क्या अब होया,
ऐसा अकाल आया हैं देश में,
देश विचारा रोया,
लेखक—Jayvind Singh Ngariya ji