कोयल
कोयल
कुण्डलिया छंद
कूके कोयल बाग में ,मीठे रस की धार।
मिश्री घोलती कान में, सुनते बारंबार।।
सुनते बारंबार, छाई मधुमास बेला।
सूरत -सीरत श्याम, कंठ भी मधुर सुरीला।।
उड़ -उड़ गावे गीत, स्वर सुर में जान फूके।
बनके मन का मीत ,बागों में कोयल कूके।।
ललिता कश्यप गांव सायर जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश।