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23 Jun 2022 · 1 min read

कोयल हुई उदास

मंच को नमन!
आज सुबह हमारे घर के सामने पार्क में कोकिला क्या कह रही थी सुनिए!
पतझर तरु को देखकर,कोयल हुई उदास।
मीठी वाणी में करे, वो घन से अरदास।
वो घन से अरदास,कहे हे! मेघा बरसो।
एक बॅधी थी आस,देखकर तुमको नरसो।
कहै अटल कविराय, तरसते नभचर थलचर।
बरसो हे घनश्याम,हुए सब तरुवर पतझर।
🙏💐🙏
अटल मुरादाबादी

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