कोमल
[9/1, 4:49 PM] Lalita Kashyap: मुक्तक
प्रदत शब्द – कोमल
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चमन में आज उतरा है, वही महताव जोगन का।
चढ़ा वो रंग मतवाला, नशा है आज यौवन का।
वही आंखें नशीली है, वहीं अंदाज मस्ताना।
सखी कोमल गठीला है, सजीला वैद्य रोगन का।
अभी रूठा सनम मेरा नहीं माना मनाने में,
बहुत प्यारा सजन मेरा लगी आशा जगाने मैं।
पड़ी हूं पांव में उनके लगी कोमल गले से मैं,
बलम वैरी नहीं माना हुई रुसवा जमाने में।
ललिता कश्यप जिला बिलासपुर हिमाचल प्रदेश