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7 Feb 2024 · 1 min read

*कोपल निकलने से पहले*

ख़ामोश है!
न समझ कि मन में बात नहीं|
सूरज छिपा है!
न समझ कि है ही नहीं|
असफल हुए आज तो क्या..
और भी मौक़े मिलेंगे आज़माने को|
ख़्वाब तो बुन, ऐ दोस्त!
कोशिश तो कर ज़माने को दिखाने को|
बाँस के बीज को भी लगते हैं कई वर्ष
कोपल निकलने से पहले
ज़मीं के नीचे जड़ फैलाने को|

5 Likes · 2 Comments · 1259 Views
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