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20 Sep 2016 · 1 min read

कोन समझाये

कोन समझाये इस जवानी को
शर्म आयेगी खानदानी को

गर सँभल तुम सके न देख कर
वक्त छोड़ेगा तब निशानी को

देश की देखरेख कैसे हो
जब डसे साँप राजधानी को

आज कोई नया न अपनाये
लोग अजमा रहे पुरानी को

डूब जाओगे गीत में मेरे
जब कभी तुम सुनो रवानी को

डॉ मधु त्रिवेदी

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