कोन ल देबो वोट
कोन ल देबो वोट
दोनों बेटा चुनाव लड़त हे,बहावत हावय नोट।
डोकरी डोकरा सोचत हवय,कोन ल देबो वोट।।
बड़े ह पर बुधिया हे,छोटे हवय गंवार।
बांट के देबो दोनों झन ल ,जेमा दोनों के होवय हार।।
घर म सुनता होवत नईये,अड़बड़ राखथे खोट।
डोकरी डोकरा सोचत हवय कोन ल देबो वोट।।
जतका आथे चुनाव लड़ईया,जनता ल बरगलाते।
साटी बिछिया,लुगरा ल देके,लालच ल बढाथे।।
दारू मुरगा,पैसा ल दे के ,घर घर आगी लगाथे।
ऐसने फोकट पैसा देवईयां मन, भ्रष्टाचार ल बढ़ाथे।।
एक दुसरे ल बइला गदहा कईथे,बाटत बाटत नोट।
डोकरी डोकरा सोचत हवय कोन ल देबो वोट।।
मरत रेहेन भुख प्यास,तब दुरिहा ले घुचिस।
पचास घर के सगा है ,फेर कोनो नई पुछिस।।
होवईया हे चुनाव ,तब रंग रंग के गोठ।
डोकरी डोकरा सोचत है,कोन ल देबो वोट
काम साधे बर लुहुर लुहुर,हाथ पांव ल जोरत हे।
आगी लगत है महंगई ,कनिहा ल टोरत है।।
चिरहा फरिया मिलत नईये,अपन पहिरे कोट।
तेकर ले बने बिलवा कुकुर हावय ,उही ल देबो वोट।।
डां विजय कुमार कन्नौजे अमोदी वि खं आरंग जिला रायपुर छत्तीसगढ़
जनता बिचारव अपन मनमे,कोन ल देबो वोट।।