कोजगरा
‘ कोजगरा ‘ एक ऐसा पर्व जिसका नाम सुनते ही शरीर मे नई उमंग छा जाती है। यह पर्व मिथिलाचंल का लोकप्रिय पर्व है जो शारदीय नवरात्र के समाप्त होने के उपरांत आती है। यह पर्व नवविवाहित दम्पति के लिए एक खास पर्व माना जाता है, जो आश्वीन मास के पुर्णिमा को मनाया जाता है ।
पौराणिक कथा के अनुसार कोजगरा पर्व इस दिन इसलिए मनाया जाता है क्योंकि इस रात्रि को चंद्रमा से अमृत की वर्षा होती है , इस रात्रि को जगने से अमृतपान करने का सौभाग्य प्राप्त होता है। इसे जागरण रात्रि भी माना जाता है। नव दम्पति को शादी के पहले वर्ष मे इस अमृतपान को करने से भविष्य मे सुख-समृद्ध से जीवन यापन होता है, इसी कामना के लिए लोग इस पर्व को मिथिला ही नही अपितु पुरे विश्व मे जहां भी मैथिल समाज वास करते है वहॉ मनाते है ।
इस पर्व मे कन्यापक्ष के परिवार से वरपक्ष के परिवार के सभी लोगो के लिए नए वस्त्र , पान -मखान, दही -चुड़ा,मिठाई इत्यादि भेजा जाता है, एवं उसी समान से वर (दुल्हा) को चुमाया जाता है ।पुरा परिवार भगवती के गीत मे झुमते है,पुरे गांव-समाज मे पान-मखान को बॉटा जाता है। इस तरह यह पर्व बड़े हु मधुर व मिठास के साथ मनाया जाता है।