“कोई समझाता नहीं”…….
कटु शब्दों से मिले बेनिशां ज़ख्म
अपनों से ही मिले तो
कोई बताता नहीं….
कमियाँ दूसरे की गाई जाती हैं
बातों के ढोल पीट – पीट
कमी अपनी हो तो
कोई बताता नहीं….
सलाहे मिलती हैं हजार
नाकामी पर हमारी ही
खुद ने ही कितना किया अमल
कोई बताता नहीं…
सच कहते हैं कि खुद के
मरने पर ही मिलता है स्वर्ग
जाना वाला लौट कर रास्ता
कोई बताता नहीं…..
© ® उषा शर्मा
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