कोई शक्स रूठा है मुझसे ।
कोई शक्स रूठा है मुझसे ।
कोई चुप सा बैठा है यही पर ।
मन शांत सा होकर भी ,
लड़ रहा है, दिल से ।
कोई आकर बैठ, पास मेरे,
हाल ए दिल अपना कह गया ।
मैं बेचारा , खुद में खुद होकर भी कहीं और खो गया ।
दस्तक दी खुशियों ने मन की दहलीज पर ।
और दिल नादान भटक रहा कहीं किसी डगर पर ।।