कोई राजा हो या मुफलिस, गवारा हो न पायेगा।
गज़ल
काफिया- आरा
रदीफ़- हो न पायेगा
1222…..1222……1222…..1222
कोई राजा हो या मुफलिस, गवारा हो न पायेगा।
बिना छत रोटी कपड़ों के, गुजारा हो न पायेगा।
ये दिल है आइना तोड़ा है, तुमने ही इसे आखिर,
हमारा दिल ये जानम अब, तुम्हारा हो न पायेगा।
जो ओझल हो गये, दुनियां से अपने या पराए हों,
कभी जीवन में उनका अब, नज़ारा हो न पायेगा।
खुदा ने है बनाया, खूबसूरत ये जहाँ यारो,
हमें है छोड़कर जाना, हमारा हो न पायेगा।
ये जीवन है हमारा आपका किस काम का यारो,
अगर ये दीन दुखियों का सहारा हो न पायेगा।
तमन्ना चाँद पाने की न कर तू ऐ दिले नादां,
जो दुनियां का सितारा है, तुम्हारा हो न पायेगा।
किसी के प्रेम में पागल, दीवाना बन के देखो तो,
जो प्रेमी है किसी का वो, आवारा हो न पायेगा।
……✍️ प्रेमी