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22 Sep 2024 · 1 min read

कोई मेरे दिल में उतर के तो देखे…

कोई मेरे दिल में, उतर के तो देखे
मेरी फैली बाँहों में, बिखर के तो देखे

मेरी गर्म साँसों में आहें दहकती
निशा भी शराबी होकर बहती
कोई मन के सागर में, लहर के तो देखे
मेरे ज़र्द होठों में, ठहर के तो देखो

ये उजड़ी हुई नींद ये बोझिल सी पलकें
बादल जो काजल आयें हों मलकें
कोई मेरी आँखों में, चहक के तो देखे
मेरी सूनी रातों में, महक के तो देखे

चंदा जो लोरी सुनाने है आया
धनक साज सपने सजाने को लाया
कोई मेरे गीतों में, मुखर के तो देखे
मेरी मन कहानी में, उभर के तो देखे

–कुँवर सर्वेंद्र विक्रम सिंह✍🏻
★स्वरचित रचना
★©️®️ सर्वाधिकार सुरक्षित

1 Like · 112 Views
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