कोई भी वैसा नहीं मिलता….
कोई भी वैसा नहीं मिलता….
################
कोई वैसा नहीं मिलता….
जैसा हम-सब खोजते हैं !!
बिस्तर से सुबह उठते ही ,
ऑंखें कुछ तलाशती है !
कोई वैसा नहीं मिलता….
जैसा हम-सब खोजते हैं !!
हर पल अपने काम के पीछे ,
भाग – दौड़ सब करते हैं !
राहों में निगाहें जिसे ढूंढ़ती ,
वैसे नहीं कोई मिल पाते हैं !!
विचारों में काफ़ी भिन्नता होती ,
सभी अपने तरीके से जीते हैं !
कभी कोई वैसा नहीं मिलता….
जैसा कि हम-सब खोजते हैं !!
बेईमानों से दुनिया भरी पड़ी है ,
ईमानदारों की नहीं वैसी टोली है !
इक्के-दुक्के भी वैसे नहीं मिलते ,
जैसा सदैव हम-सब खोजते हैं !!
सोच में सबके ही बहुत अंतर है ,
आचार-विचार भी अलग-सा है !
कभी ऐसा लगता कोई हमदम है ,
असलियत में वो इक वहम-सा है!!
लोगों का इरादा बस, एक सा है ,
सब कुछ उनकी झोली में जाना है !
गरीबों की उन्हें तनिक फ़िक्र नहीं है ,
हर जगह ही वर्चस्व उन्हें बनाना है !!
सदाचार,सद्भाव के बिना ही वे ,
जीवन-यापन अपना करते हैं !
कभी कोई वैसा नहीं मिलता….
जैसा कि हम-सब खोजते हैं !!
खुद का उल्लू सीधा करके….
औरों को राह से धकेलते हैं !
खुद ही विजयश्री को पाके….
औरों को बस, वे रुलाते हैं !!
जीवन में सदा आगे बढ़ने को…
हरेक हथकंडे वे अपनाते हैं !
कोई भी वैसा नहीं मिलता….
जैसा कि हम-सब खोजते हैं !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
सर्वाधिकार सुरक्षित ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 22 अक्टूबर, 2021.
“”””””””””””””””””””””””””””””””””
?????????