कोई बोलता क्यों नहीं?
आख़िर कोई यहां
बोलता क्यों नहीं!
ज़ुल्मतों के राज़
खोलता क्यों नहीं!!
अपनी क़लम की
नोंक से एक बार
हुक़ूमत की ताक़त
तोलता क्यों नहीं!!
आख़िर कोई यहां
बोलता क्यों नहीं!
ज़ुल्मतों के राज़
खोलता क्यों नहीं!!
अपनी क़लम की
नोंक से एक बार
हुक़ूमत की ताक़त
तोलता क्यों नहीं!!