कोई बात नही
कोई बात नही
दिल मेरा टूटकर मोती सा बिखरा तो कोई बात नही।
तुम करते हो नफ़रत हमसे तो कोई बात नही।।।।
हम समंदर सा शांत
चित्त लेकर बैठे है तुम्हारी
रहो में।
तुम तूफाँ भी लाओ तो कोई बात नही।।।।
आख़री बार मेरी दिल ये दास्ताँ तो सुनकर जाओ।
फिर तुम जिंदगी भर हमे रुलाओ तो कोई बात नही।
मेरे हौसलों के पंख टूट जमीं पर बिखर गये है।
तुम गैरों के संग उड़ान भरो तो कोई बात नही।।।
आ भी जाओगे नजरो के सामने कभी मेरे इतेफाक से।
तुम नजरें नीची कर लोगे तो भी कोई बात नही।।।।
आरजू न कोई जिंदगी में रही हमारी।
तुम खुद के अरमान पूरे करलो तो कोई बात नही।
हम तो तेरी राहों पर हर वक्त दिल को ही बिछाएंगे।
तुम काँटो का खेत बोओ हमारे लिये तो कोई बात नही।।।
सोनु की जिंदगी में सिर्फ तुम ही ख़ास हो जान लो।
तुम्हारे दिल के कोने में जगह नही हमारे लिए तो कोई बात नही।।।।।
रचनाकार
गायत्री सोनु जैन
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