Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2020 · 1 min read

कोई नहीं अपना…

कोई नहीं अपना
किसी को भी ‘हनीफ़’
यहाँ अपना ना कहना,
हो जुस्तजू
किसी को पाने की
उम्मीद बनना,
उम्मीद ना रखना ।।

#हनीफ़_शिकोहाबादी ✍️

Language: Hindi
Tag: शेर
361 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
हिजरत - चार मिसरे
हिजरत - चार मिसरे
डॉक्टर वासिफ़ काज़ी
बंदिशें
बंदिशें
Kumud Srivastava
*सर्वोत्तम शाकाहार है (गीत)*
*सर्वोत्तम शाकाहार है (गीत)*
Ravi Prakash
मैं सोचता हूँ आखिर कौन हूॅ॑ मैं
मैं सोचता हूँ आखिर कौन हूॅ॑ मैं
VINOD CHAUHAN
नसीब तो ऐसा है मेरा
नसीब तो ऐसा है मेरा
gurudeenverma198
वक्त से वकालत तक
वक्त से वकालत तक
Vishal babu (vishu)
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
जिंदगी है कि जीने का सुरूर आया ही नहीं
Deepak Baweja
विदंबना
विदंबना
Bodhisatva kastooriya
5 किलो मुफ्त के राशन का थैला हाथ में लेकर खुद को विश्वगुरु क
5 किलो मुफ्त के राशन का थैला हाथ में लेकर खुद को विश्वगुरु क
शेखर सिंह
स्वर्ण दलों से पुष्प की,
स्वर्ण दलों से पुष्प की,
sushil sarna
करवा चौथ@)
करवा चौथ@)
Vindhya Prakash Mishra
* अवधपुरी की ओर *
* अवधपुरी की ओर *
surenderpal vaidya
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
भय आपको सत्य से दूर करता है, चाहे वो स्वयं से ही भय क्यों न
Ravikesh Jha
रुदंन करता पेड़
रुदंन करता पेड़
Dr. Mulla Adam Ali
साइबर ठगी हाय रे, करते रहते लोग
साइबर ठगी हाय रे, करते रहते लोग
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आदिपुरुष फ़िल्म
आदिपुरुष फ़िल्म
Dr Archana Gupta
3467🌷 *पूर्णिका* 🌷
3467🌷 *पूर्णिका* 🌷
Dr.Khedu Bharti
ये भावनाओं का भंवर है डुबो देंगी
ये भावनाओं का भंवर है डुबो देंगी
ruby kumari
परम तत्व का हूँ  अनुरागी
परम तत्व का हूँ अनुरागी
AJAY AMITABH SUMAN
#नवगीत-
#नवगीत-
*Author प्रणय प्रभात*
फूल
फूल
Neeraj Agarwal
दोस्ती
दोस्ती
Kanchan Alok Malu
दोहा
दोहा
दुष्यन्त 'बाबा'
मेरे जिंदगी के मालिक
मेरे जिंदगी के मालिक
Basant Bhagawan Roy
दहेज ना लेंगे
दहेज ना लेंगे
भरत कुमार सोलंकी
कृष्णा सोबती के उपन्यास 'समय सरगम' में बहुजन समाज के प्रति पूर्वग्रह : MUSAFIR BAITHA
कृष्णा सोबती के उपन्यास 'समय सरगम' में बहुजन समाज के प्रति पूर्वग्रह : MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Be careful having relationships with people with no emotiona
Be careful having relationships with people with no emotiona
पूर्वार्थ
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
मेरी पलकों पे ख़्वाब रहने दो
Dr fauzia Naseem shad
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
रोजी न रोटी, हैं जीने के लाले।
सत्य कुमार प्रेमी
Loading...