कोई दीवाना करे तो क्या करें।
गर इश्क़ में ना आये सुकूँ तो कोई दीवाना करे तो क्या करें।
मिले ना जो मोहब्बत में चैन तो कोई दीवाना करे तो क्या करें।।1।।
वह खुश है देखो ज़ालिम कितना यूँ आशिक ए कत्ल करके।
अपनी चाहत से है मजबूर अब कोई दीवाना करे तो क्या करे।।2।।
तुमने हर पल हमको ठुकराया फिर भी ना है तुमसे कोई गिला।
यह इश्क़ हैं ही दर्द ए समन्दर इसमे कोई दीवाना करे तो क्या करे ।।3।।
पागल कर देती है सनम की दिले ज़ुस्तज़ू इस मोहब्बत में।
दर-दर ना भटके बनके कलन्दर तो कोई दीवाना करे तो क्या करे ।।4।।
है गुज़ारिश यह तुमसे आ जाओ अब तो मय्यत पर हमारी।
वरना जमाना कहेगा तुमको फरेबी कोई दीवाना करे तो क्या करे ।।5।।
तुम रहना सलामत दुआएँ है मेरी अब चलते है हम सदा के लिए।
गर तूरबत में है चाहत किसी की तो कोई दीवाना करे तो क्या करे ।।6।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ