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12 Apr 2019 · 1 min read

कोई तस्वीर मन मन्दिर में जब आसीन होती है

कोई तस्वीर मन मन्दिर में जब आसीन होती है
गमों से जूझते दिल को बड़ी तस्कीन होती है

मुहब्बत जब किसी के दिल मे ही तदफीन होती है
उसी पल से ही उसकी ज़िन्दगी गमगीन होती है

अगर आँसू सुनाते हाल दिल का आइना बनकर
हँसी चेहरे पे खुशियों का बिछा कालीन होती है

कोई भी बात समझाओ किसी भी मूर्ख को कितनी
बजाना भैंस के आगे वो केवल बीन होती है

भले ही आवरण इस ज़िन्दगी का श्वेत काला है
मगर ये बीच के पन्नों में तो रंगीन होती है

जरा भी मौत की इसको भनक तक लग नहीं पाती
यहाँ जीने में इतनी ज़िन्दगी तल्लीन होती है

गरीबों से रहे ये दूर सजती है तिजोरी में
ये दौलत भी अमीरी की लगे शौकीन होती है

बदलती स्वाद रहती ‘अर्चना’ ये ज़िन्दगी अपनी
कभी कड़वी कभी मीठी कभी नमकीन होती है

12-04-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

1 Like · 264 Views
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