कोई ख़्वाब है
कोई ख़्वाब है
मेरी आंखों का
मुझे किस
बात का
इंतज़ार है
मेरी सोच में
बस तू ही तू
तेरा दिल को भी
एतबार है
वही शब है
तन्हा सी
वही आसमां
पर चांद है
इन आंखों से
छलकता,
क्यों प्यार
बे “शुमार है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद
कोई ख़्वाब है
मेरी आंखों का
मुझे किस
बात का
इंतज़ार है
मेरी सोच में
बस तू ही तू
तेरा दिल को भी
एतबार है
वही शब है
तन्हा सी
वही आसमां
पर चांद है
इन आंखों से
छलकता,
क्यों प्यार
बे “शुमार है।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद