कोई आसमान छूना चाहे तो छू सकता है !
कोई आसमान छूना चाहे तो छू सकता है !
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कोई अगर आसमान छूना चाहे तो छू सकता है !
कोई अगर गटर में गिरना चाहे तो गिर सकता है !
ये केवल उसपे निर्भर करता है कि वो चाहता क्या है !
ये उसकी गतिविधियों पे ही पूरी तरह निर्भर करता है !!
अगर भूलवश भी आप रास्ते ग़लत चुन लेते हैं !
तो लाख कोशिश कर लें, आप उबर नहीं पाते हैं !
सारे के सारे मेहनत आपके बेकार चले जाते हैं !
आपकी सारी उम्मीदों पे ही पानी फिर जाते हैं !!
केवल रास्ते ही नहीं सारे दोस्त भी अपने सही चुनें !
क्योंकि दोस्त भी प्रायः गलत रास्ते पर ले जाते हैं !
आज के ज़माने में ऐसे ही दोस्त हर जगह भरे पड़े हैं !
उन्हें कुछ नहीं बिगड़ता कि उनके साथी का क्या होगा !
उन्हें बस,अपनी ही धुन है कि उनका तो सदा भला होगा !!
आज लोगों का वश चले तो दोस्तों को भी बेच डाले !
सारी नैतिकता गॅंवाकर बस, अपना ही भला कर डाले !
केवल दोस्त ही नहीं, राहों के सारे हमराही को मसल डाले !
अपनी स्वार्थ सिद्धि के क्रम में खुद का भी ईमान बेच डाले !!
इसीलिए आज के ज़माने में सबको जागरूक हो जाना है !
कैसे, कब क्या निर्णय लेना है इसपे गहन चिंतन करना है !
सदा सकारात्मक सोच के साथ ही आगे की राह बनाना है !
कदापि गटर की नहीं, आसमान छूने की ही राह चलना है !!
स्वरचित एवं मौलिक ।
अजित कुमार “कर्ण” ✍️✍️
किशनगंज ( बिहार )
दिनांक : 18-08-2021.
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