कोई अपना है
दर्द की वजह भी कोई अपना है
दर्द की दवा भी कोई अपना है
ग़ैरों से वफ़ा की कोई उम्मीद ही नहीं
लाज़िमी है बेवफ़ा भी कोई अपना है
बीच मँझधार में आकर जो डूब गयी
उस कश्ती का नाख़ुदा भी कोई अपना है
दर्द की वजह भी कोई अपना है
दर्द की दवा भी कोई अपना है
ग़ैरों से वफ़ा की कोई उम्मीद ही नहीं
लाज़िमी है बेवफ़ा भी कोई अपना है
बीच मँझधार में आकर जो डूब गयी
उस कश्ती का नाख़ुदा भी कोई अपना है