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6 Aug 2021 · 1 min read

कोई अपना नहीं

सुबह
सोकर उठी तो
देखा
मेरे तकिये पर
फूल बिछे हैं
रंग थे इसमें
मेरे आंसुओं के
काजल के
मेहंदी के
लिपिस्टिक की लाली के
नेल पॉलिश की पपड़ियों की जाली के
मेरे पसीने की बूंदों के
मेरे बदन की खुशबुओं के
मेरे केशों के रेशमी गुच्छों के
मेरी पलकों से झड़ी चिलमन की लड़ियों के
मेरी कांच की चूड़ियों से निकले नगों के
मेरे कान से गिरे झुमके की छोटी बालियों के मोतियों के
मेरे माथे से छूटी बिंदिया के
मेरी आंखों से झड़े हरसिंगार के फूलों के
सपनों के
रंग हैं यह सारे मेरे अपने लेकिन
मेरा फिर भी कोई अपना नहीं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 567 Views
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