*कैसे हम आज़ाद हैं?*
चीखों की पुकार से, दुष्टों के व्यवहार से।
घर से निकले भय व्याप्त है,जीना भी दुश्वार हुआ।
अस्मत लुटे सरेआम, शासन की चुप्पी नाकाम।
कथनी करनी में अन्तर, राजा की नाकामी है।
कुछ को बनाया जाए निशाना, ऐसे हम बर्बाद हैं।
कैसे हम आज़ाद हैं।।१।।
रेप बच्चियों का करके, क्यों सीना तान घूमते हैं।
इनके लिए सजा नहीं, जो होना था हुआ नहीं।
आवाम देश की तो दुखी है, राजा इतना बेरुखी है।
गलती जिनकी न है यार, उन्हीं पर कहर अत्याचार।
कुछ को संरक्षण क्यों प्यार, ऐसे हम आबाद हैं।
कैसे हम आज़ाद हैं।।२।।
वोट के समय सब हिन्दू हैं, वोट के बाद वर्गवाद।
झूठे इरादे लुभावने वादे, दोहरा मीडिया का संवाद।
सामने जाकर हाथ उठाकर, जो कहते करते क्या हैं?
तानाशाही रवैया इनका, तबाही पर खामोश हैं।
फूलनदेवी जरूरी है फिर, पग पग पर जल्लाद हैं।
कैसे हम आज़ाद हैं।।३।।
आजादी का पर्व मनाओ, दूसरा पक्ष भी देखो तुम।
जातिवाद है छुआछूत है, हम आज़ाद हैं क्या सबूत है।
विशेष वर्ग पर अत्याचार, यही वर्ग ही क्यों शिकार।
दुष्यन्तकुमार करता विचार है, मानवता हुई शर्मसार है।
फल सच्चाई का देशद्रोही, कई ऐसे अपवाद हैं।
कैसे हम आज़ाद हैं।।५।।