कैसे रहती हो
याद करता हूं क्या तुम भी करती हो
अनेकों यादें यहां वहां कैसे रहती हो
तन्हा न छोड़ा अब अकेले रहती हो
साथ वर्षों का अब जुदाई सहती हो
सात फेरे वचन सात जन्मों का साथ
पूरा करतीं जनम रूसवाई करती हो
जाने से पहले कुछ कहती भला बुरा
बिन मिले बताये जा कैसे सकती हो
आओगी लौट कर ये भी नही कहा
इन्तेहा इंतजार आ नही सकती हो
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर 9044134298
कलम एक साहित्यिक मंच द्वारा आयोजित प्रतियोगिता मे पुरस्कृत