कैसे रंगों की होली आई
होली आई
होली आई
कैसे रंगों की होली आई
हर कोई अपने रंग रंगा है
इक दूजे कीचड़ उछला है
शर्म करो माटी के पुतलों
बात बात में रंग न बदलो
कीचड़ की होली ना खेलो
देश प्रेम के रंग उडेलो
सियासत के रंगों की होली
झूठ में डूबी इनकी टोली
तुम इनसे जरा बचके रहना
रंग प्यार के बस तुम रंगना
लाल गुलाल में महक मिलाओ
इक दूजे को गले लगाओ
छोड़ो नफ़रत के रंगो को
माथे तिलक प्यार से रंग दो
केसरिया रंग माटी का है
हरा रंग खुशहाली का
सफेद रंग से रंगा आसमॉ
रंग बिखेरे शान्ति का