कैसे ये टूटेगा भरम देखिये साहब
2212 + 2212 + 2122 + 2
बेरोजगारी का सितम देखिये साहब
कैसे ये टूटेगा भरम देखिये साहब
मिल जाये बस दो वक़्त की रोटियाँ इनको
ये भूख का अन्तिम चरम देखिये साहब
है राम भी, रहमान भी, भेद कुछ भी नहीं
इस भीड़ का क्या है धरम देखिये साहब
डिग्री सभी की एक से एक बढ़कर है
पढ़-लिखके भी फूटे करम देखिये साहब
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