कैसे यूं ही दिल का हाल बयां कर पाए
झूमीं झूमीं बहकी बहकी नज़रों को तू भाए
कोई कैसे यूं ही दिल का हाल बयां कर पाए
मिलें थे हम तुम तो महज़ एक इत्तफाक से
मगर अटकी रह गई नजरें मिलीं जो आप से
देख कर फिर तुमने पलकों को ज्यों झुकाया था
लगा कि जैसे आसमां का चांद शरमाया था
रब की रची अद्भुत कला की तुम नुमाइश हो
हम कैसे न जलें जब हर दिल की तुम्हीं ख्वाइश हो
तेरी हर इक अदा का जादू मेरे इस दिल को रिझाए
कोई कैसे यूं ही दिल का हाल बयां कर पाए……..
मिलकर हम तुम एक-दूजे से बिछड़ गए ऐसे
जागने पर आंखों से कोई ख्वाब रूठ जाए जैसे
हाल-ए-दिल कैसा हुआ है अब क्या ही बताएं
भरी महफ़िल में भी खुद को हम तन्हा ही पाएं
तेरे संग जीने-मरने का ख्वाब हमनें बुना है
तेरे बिन लगता अब ये सारा जग सूना-सूना है
तेरी यादें जल बिन मछली सा मुझको तड़पाए
कोई कैसे यूं ही दिल का हाल बयां कर पाए………..
तुझे देखा तो लगी कोई पहचानी सी सूरत
थोड़ी धुंधली मगर जानी-जानी सी सूरत
तू वहीं तो है जो मेरे ख्वाबों में आया जाया करती थी
अपने जलवों के तीर मेरे दिल पर चलाया करती थी
फिर तू ही बता इस दिल को कोई और भाए कैसे
जब दिल में तू है तो नैनों को दूजा नजर आए कैसै
जाना चाहे कितना भी दूर तुझे खुद के करीब ही पाए
बोलो न कोई कैसे यूं ही दिल का हाल बयां कर पाए…….।।