कैसे मैं कहूँ तुझसे
कैसे मैं कहूँ तुझसे
तूँ मेरी मोहब्बत है
मेरे दिल में बसी है जो
तेरी ही मूरत है।
कैसे……….
मैं देखूँ किसी को भी
सब में ही तूँ दिखती,
आँखों में छपी मेरी
बस तेरी ही सूरत है।
कैसे………..
शाम ओ सुबह की सुध
बिल्कुल न रही अब तो
जग जग तेरी यादों में
सारी रात हाँ, कटती है।
कैसे…………..
छन छन की कभीं कोई
आवाज़ जो आती है
तेरे ही पायल की
संगीत सुनाती है।
कैसे………..
?️अटल©