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18 Mar 2020 · 1 min read

कैसे भला मिलायेंगे हमसे निगाह वो

बैठे हुए हैं करके हजारों गुनाह वो
कैसे भला मिलायेंगे हमसे निगाह वो

चोरी,डकैती,कत्ल के मुजरिम हैं जो हुजूर
देते रहे सुधरने की हमको सलाह वो

वक्त़ की आँधी ने मुखौटा उड़ा दिया
अब माँगते हैं देखिए खुद से पनाह वो

हम बेखुदी में जिस पे यूँ चलते चले गए
मंजिल के पास आ के रुक गयी है राह वो

बारीकियाँ सिखाते थे जो प्यार की हमें
तनहाइयों में भर रहे हैं आज आह वो

1 Like · 1 Comment · 168 Views
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