कैसे परहेजगार होते हैं।
कैसे परहेज़गार होते हैं।
हम तो पीकर बीमार होते हैं।
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कौन उनके गुनाह गिनवाए।
पाक सब पहरेदार होते हैं।
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जिस्म-ए-मुद्दा एक हो लेकिन।
उसके चेहरे हज़ार होते हैं।
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कितने वादा ख़िलाफ़ हो सोचो।
फिर कहो बेकरार होते हैं।
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आग पुश्तों तलक दबी रहती।
नौजवां तब शरार होते हैं।
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सिर्फ हक की ही बात होती है।
रिश्ते तब तार तार होते हैं।
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जब नज़र को ” नज़र” करो काबिल।
यार के तब दीदार होते हैं।
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Kumar Kalhans