कैसे धाम अयोध्या आऊं
# कैसे धाम अयोध्या जाऊं #
राग द्वेष लिए हृदय में,कैसे धाम अयोध्या आऊं
हे महाप्रभु श्री राम मेरे मन ही मन सकुचाऊं
राग द्वेष लिए हृदय में,कैसे धाम अयोध्या आऊं
निर्मल वाणी देकर तुमने भेजा जग में मुझको
कभी नहीं पर मैंने मुख से किया है वंदन तुझको
मन का साज हो गया बेसुरा…
मन का आज हो गया बेसुरा
अब क्या गीत सुनाऊं…
राग द्वेष लिए हृदय में,कैसे धाम अयोध्या आऊं
स्वच्छ हृदय दे तुमने मुझको इस जगत में लाया
आकर के इस जग में मैंने इसको मलिन बनाया
मलिन हृदय संग कैसे रघुवर…
मलिन हृदय संग कैसे रघुवर
धाम मैं तेरे आऊं
राग द्वेष लिए हृदय में,कैसे धाम अयोध्या आऊं
राग द्वेष लिए हृदय में,कैसे धाम अयोध्या आऊं
इति।
इंजी संजय श्रीवास्तव
बालाघाट मध्यप्रदआज