कैसे ढूँढ़ूँ ?
कैसे ढूँढ़ूँ, जाने क्या-क्या खोता है
सागर जैसा आँखों में कुछ होता है
जब भी तेरी यादें आकर छूती हैं
चन्दन चन्दन तन-मन सारा होता है
– शैलेन्द्र ‘असीम’
कैसे ढूँढ़ूँ, जाने क्या-क्या खोता है
सागर जैसा आँखों में कुछ होता है
जब भी तेरी यादें आकर छूती हैं
चन्दन चन्दन तन-मन सारा होता है
– शैलेन्द्र ‘असीम’