कैसे कैसे रिश्ते नाते
कैसे कैसे लोग यहाँ,कैसे हैं रिश्ते नाते
कहीं अधर में छोड़ते,कहीं हैं अपनाते
प्रेम भाव का कोई मोल रहा नही यहाँ
कीमत रह गई चन्द सिक्कों की यहाँ
प्रतिदिन रिश्ते सस्ते होते जा रहे यहीं
बदले में मोह माया की माला हैं जपते
भाई छूटा बहना छूटी, छूटे माँ बाप यहाँ
स्वार्थों की अंधेरी में, कुछ बचा नहीं यहाँ
कुटुंब कुटीर बिखरे, बिखरा है ताना बाना
जग की भूल भुलैया में एकल सब हो जाते
आवेश द्वेष से युक्त परिंदे,अब नही उड़.पाते
विकारों से ग्रस्त हो कर,हौसले पस्त हो जाते
माता पिता अपने बच्चों की है परवरिश करते
बच्चें मिलकर भी माँ बाप को नहीं पाल पाते
पानी बदला वाणी बदली,बदली है मिट्टी सुगंध
खाना पीना पहरावा बदला,बदल गए हैं संबंध
देश भेष बदल गए सब,बदले सब रीति रिवाज
शैष कुछ बचा नहीं, कोई नहीं कुछ कर पाते
कैसे कैसे लोग यहाँ, कैसे हैं रिश्ते नाते
कहीं अधर मे छोड़ते, कहीं हैं अपनाते
सुखविंद्र सिंह मनसीरत